भारत में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर, शिवालय और शिव धाम हैं लेकिन उनमें शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) का महत्व सबसे अधिक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं और पुराणों में वर्णित 12 स्थानों पर जो शिवलिंग मौजूद हैं उनमें ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं, जिन्हें स्वयंभू ज्योतिर्लिंग कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के सभी कष्ट एवं पाप दूर हो जाते हैं।
12 ज्योतिर्लिंगों के अलावा और कितने मुख्य धाम हैं शिव के? (Apart from the 12 Jyotirlingas, how many other main abodes of Shiva are there?)
कैसे हुई ज्योतिर्लिंग की उत्तपत्ति (How Jyotirlinga Originated)
भागवत कथा के अनुसार 12 ज्योतिर्लिंगों की उत्पत्ति किस प्रकार हुई, इस के विषय में उल्लेख किया गया है कि सृष्टि के निर्माण के लिए मां जगदंबा ने सबसे पहले शिव को उत्पन्न किया और उसके बाद भगवान विष्णु को और फिर विष्णु जी ने ब्रह्मा जी की उत्पत्ति की। कथा के अनुसार ब्रह्मा जी को अपनी उत्पत्ति जानने की इच्छा हुई और वो पता लगाते लगाते भगवान विष्णु तक पहुंच गये। फिर दोनों में अपनी श्रेष्ठता को लेकर तर्क होने लगा।
इस प्रकार तर्क वितर्क ने युद्ध का रुप ले लिया। भयंकर युद्ध के अंत में विष्णु ने अपने चक्र और ब्रह्मा ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया। जिससे सृष्टि में हाहाकार मच गया और सृष्टि का विनाश होने लगा, तभी उनके बीच में भगवान शिव ने एक विशाल स्तंभ आकार ज्योतिर्लिंग उत्पन्न किया जिससे ज्योति (प्रकाश) निकल रहा था। उस ज्योतिर्लिंग से टकराकर दोनों अस्त्र शांत एवं निश्तेज हो गए। यह देखकर शिवजी ने दोनों को उस लिंग के आरंभ और अंत का पता लगाने को कहा कि जो भी इसमें सफल होगा वही श्रेष्ठ माना जाएगा।
इस प्रकार ब्रह्मा जी ऊपर की ओर और भगवान विष्णु नीचे की ओर पता लगाने के लिए गए। दोनों लम्बे समय तक चलते रहे परंतु उस ज्योतिर्लिंग का आरंभ और अंत पता नहीं लगा पाए। थक हार कर भगवान विष्णु वापस लौट आए, ब्रह्मा जी ने वापस लौट कर झूठ बोला कि वह आरंभ को देखकर आए हैं। ब्रह्मा जी का झूठ सुनते ही भगवान शिव ने क्रोधित हो कर उनका पांचवां मुख काट दिया जिस मुख से उन्होंने झूठ बोला था और उन्हें श्राप दिया कि उनकी कभी पूजा नहीं होगी।
विष्णु जी को उन्होंने समस्त जगत का पालनहार बना दिया। उसके बाद भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से संसार के कल्याण एवं उद्धार के लिए उस ज्योति स्तंभ को द्वादश (बारह) खंडों में विभाजित कर दिया जिन्हें ज्योतिर्लिंग कहा गया। यही ज्योतिर्लिंग विभिन्न स्थानों में स्थापित हुए और 12 ज्योतिर्लिंगों के रूप में प्रसिद्ध हुए ।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम (Names of 12 Jyotirlinga of Lord Shiva)
1- सोमनाथ – गुजरात (Somnath, Gujrat)
2- मल्लिकार्जुन – आंध्र प्रदेश (Mallikarjun, Andhra Pradesh)
3- महाकालेश्वर – मध्य प्रदेश (Mahakaleswar, Madhya Pradesh)
4- ॐकारेश्वर – मध्य प्रदेश (Onkareswar, Madhya Pradesh)
5- केदारनाथ – उत्तराखंड (Kedarnath, Uttrakhand)
6- भीमाशंकर – महाराष्ट्र (Bhimashankar, Maharashtra)
7- काशी विश्वनाथ – उत्तर प्रदेश (Kashi Viswanath, Uttar Pradesh)
8- त्र्यम्बकेश्वर – महाराष्ट्र (Trayambkeswar, Maharashtra)
9- वैद्यनाथ – झारखंड (Vaidhyanath, Jharkhand)
10- नागेश्वर – महाराष्ट्र (Nageswar, MAharashtra)
11- रामेश्वर – तमिलनाडु (Rameswaram, Tamilnadu)
12- घृष्णेश्वर – महाराष्ट्र (Ghraneswar, Maharashtra)
इन ज्योतिर्लिंगों के अलावा निम्नलिखित महादेव के मन्दिर भी ज्योतिर्लिंगों की श्रेणी में आते हैं।
भगवान शिव के 7 अन्य प्रमुख ज्योतिर्लिंग
(7 Other Major Jyotirlingas of Lord Shiva)
ऊपर लिखे गए 12 ज्योतिर्लिंगों को कई पौराणिक कथाओं में मान्यता दी गई है, किंतु इसके अतिरिक्त शिव के 7 प्रमुख मन्दिर और भी हैं जिनको स्थानीय लोग स्वयंभू ज्योतिर्लिंग मानते हैं और उनकी 12 मुख्य ज्योतिर्लिंगों की श्रेणी में रखते हैं। इन्हें आप उप ज्योतिर्लिंग भी कह सकते हैं क्योंकि अनेक विद्वान इन्हें पोणाणिक कथाओं से जोड़ कर देखते हैं और इन्हें ज्योतिर्लिंगो की मान्यता देते हैं। प्रति वर्ष लाखों लोग इन मन्दिरों में दर्शन एवं पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं।
चूंकि 12 ज्योतिर्लिंगो के विषय में काफी लोग जानते हैं लेकिन उनके जैसी मान्यता रखने वाले अन्य शिव मन्दिरों और धामों के विषय में लोग अधिक नहीं जानते। आइये आप को बताते हैं इन प्राचीन मन्दिरों और धामों के बारे में मान्यताएं और जानकारियां। जानते हैं किन स्थानों पर स्थित हैं ये शिव के प्रसिद्ध मंदिर और शिवालय।
1- बैजनाथ (Baijnath) अथवा (वैद्यनाथ, Vaidyanath)
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित यह एक प्राचीन शिव मंदिर है। बैजनाथ, जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित हैं। यह मन्दिर 1204 ए.डी. में यहां के दो स्थानीय व्यापारी आहुका और मन्युका ने बनवाया था। मंदिर की संरचना पर कई पुरातात्त्विक वैज्ञानिकों के मतानुसार, भगवान शिव का मंदिर वर्तमान निर्माण से पहले भी था और एक पौराणिक संरचना के रुप में मौजूद था। इसके भीतरी गर्भगृह में एक शिवलिंग स्थापित है।
गंगा एवं यमुना की सुन्दर मूर्तियों से प्रवेश द्वार सुशोभित हैं। भगवान शिव का यह मन्दिर अपनी अद्भुत एवं बेजोड़ कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि रावण ने यहां भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और अपना सिर काट कर शिव को अर्पित किया था। इसी कड़ी में माना जाता है कि द्वापर युग में पांडवों ने इस मन्दिर का निर्माण कराया था।
बैजनाथ धाम (हिमालय प्रदेश) |
बैजनाथ प्राकृतिक रूप से बहुत सुंदर स्थान है जहां एक ओर सफेद बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां हैं तो वहीं दूसरी ओर विनवा नदी की सुन्दरता अद्वितीय छटा बिखेरती है, और नदी किनारे बना मन्दिर बहुत सुंदर लगता है। यहां हर साल लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं।
बैजनाथ/वैद्यनाथ का पता और कैसे पहुंचें:
पता – बैजनाथ, जिला- कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश – 176125
सड़क मार्ग – दिल्ली से कांगड़ा 450 किमी, कांगड़ा से वैद्यनाथ 51 किमी.
नजदीकी रेलवे स्टेशन – पठानकोट रेलवे स्टेशन, पठानकोट से वैद्यनाथ 129 किमी.
नजदीकी एयरपोर्ट – गग्गल एयरपोर्ट, एयरपोर्ट से वैद्यनाथ 55 किमी.
2- जागेश्वर (Jageswar)
जागेश्वर धाम उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। इस मन्दिर में लोगों की इतनी अधिक आस्था है कि इसे एक ज्योतिर्लिंगों ही माना जाता है। घने देवदार के वृक्षों से घिरा यह मन्दिर अतुलनीय है। यहां 124 छोटे बड़े मन्दिरों का एक आकर्षक समूह है जिनका निर्माण कत्यूरी राजाओं द्वारा कराया गया माना जाता है। इस मन्दिर के जीणोद्धार में चन्द राजवंश का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
जागेश्वर के विषय में प्रचलित कथा के अनुसार सती के आत्मदाह के पश्चात दुखी हो कर भगवान शिव यहां स्थित जंगल में तपस्या करने लगे, तभी सप्तश्रषियों ने अनजाने में उन्हें दोषी मानते हुए श्राप दे दिया कि तुम्हारा लिंग शरीर से अलग हो कर पृथ्वी पर गिर जाए। शाप सुनते ही शिव ने अपने नेत्र खोले और कहा कि तुम लोगों ने मेरा दोष जाने बिना मुझे शाप दे दिया, किन्तु मैं इसका विरोध नहीं करता।
उसी समय उनका लिंग पृथ्वी पर गिर पड़ा और ज्वाला के रूप में चारों तरफ घूमने लगा, सारे जंगल में आग लग गई और जीव जन्तु जलने लगे। इससे घबराकर ऋषिगण, ब्रह्मा जी के पास सहायता के लिए पहुंचे। ब्रह्मा जी ने ऋषियों को महादेव की उपासना करने को कहा। इस प्रकार ऋषियों की उपासना से प्रसन्न होकर महादेव ने कहा इस लिंग का तेज़ केवल पार्वती जी सम्भाल सकती हैं अतः आप उनकी उपासना करें।
जागेश्वर धाम (उत्तराखंड) |
अन्त में पार्वती जी ने शिवलिंग को धारण किया और सभी देवताओं व ऋषियों की पूजा अर्चना के बाद लिंग शान्त हो गया। इस प्रकार यह स्वयंभू लिंग माना गया और जागेश्वर धाम प्रतिष्ठित हुआ। आज हर वर्ष यहां लाखों लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। पूरे उत्तर भारत में इस शिव धाम की गिनती मुख्य ज्योतिर्लिंगों में की जाती है।
जागेश्वर का पता और कैसे पहुंचें:
पता – जागेश्वर, जिला- अल्मोड़ा, उत्तराखंड – 263624
सड़क मार्ग – दिल्ली से अल्मोड़ा 415 किमी, अल्मोड़ा से जागेश्वर 35 किमी.
नजदीकी रेलवे स्टेशन – काठगोदाम रेलवे स्टेशन, काठगोदाम से जागेश्वर 115 किमी.
नजदीकी एयरपोर्ट – पंतनगर एयरपोर्ट, पंतनगर से जागेश्वर 150 किमी.
3- बैजनाथ (Baijnath)
बैजनाथ शिव धाम जिला बागेश्वर, उत्तराखंड में स्थित है। पुराणों के अनुसार यह शिव मन्दिर गोमती एवं गरुड़ी नदी के संगम में स्थित है। कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि शिव जी ने यहां पर गणेश जी की पूजा की थी। बैजनाथ में बहुत सारे अन्य देवी देवताओं के मन्दिर समूह हैं, जिनमें विशेष रूप से शिव मन्दिर में पूजा अर्चना का अधिक महत्व माना गया है। मन्दिर के निर्माण में कत्यूरी राजाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। कहा जाता है कि इस का निर्माण कत्यूरी राजाओं ने 1150 ए.डी. में किया। इतिहासकारों के अनुसार यह कत्यूर राज्य की राजधानी कार्तिकेयपुर थी और उनके शासन काल में यह स्थान बहुत अधिक संपन्न था।
इस मन्दिर के आसपास कई अन्य मन्दिरों के अवशेष आज भी हैं जिन्हें पुरातत्व विभाग ने संरक्षित कर रखा है। इस मन्दिर परिसर में महादेव के अतिरिक्त माता पार्वती, गणेश जी, चंडिका, कुबेर और सूर्य भगवान की सुन्दर मूर्तियां स्थापित हैं। आज हर साल यहां लाखों की संख्या में लोग दर्शन एवं पूजा के लिए आते हैं।
वैजनाथ धाम (उत्तराखंड) |
बैजनाथ का पता और कैसे पहुंचें:
पता – बैजनाथ (गरुड़), जिला- बागेश्वर, उत्तराखंड – 263641
सड़क मार्ग – दिल्ली से बागेश्वर 455 किमी, बागेश्वर से बैजनाथ 20 किमी.
नजदीकी रेलवे स्टेशन – काठगोदाम रेलवे स्टेशन, काठगोदाम से बैजनाथ 150 किमी.
नजदीकी एयरपोर्ट – पंतनगर एयरपोर्ट, पंतनगर से बैजनाथ 184 किमी.
4– परली वैजनाथ (Parli Baijnath)
परली वैजनाथ ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के बीड़ जिले के परली में स्थित है। यह माना जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती इस स्थान पर संग संग रहते हैं, जिससे इस मन्दिर का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। यहां भक्तों को शिव पार्वती के एक साथ दर्शन होते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार यहां समुद्र मंथन से निकले अमृत के लिए जब दैत्य, दानव छीना झपटी को आतुर हो गये तब भगवान विष्णु ने अमृत को शिव के लिंग में छुपा दिया। जैसे ही दानवों ने लिंग को छूने की कोशिश की, उसमें से ज्वाला निकलने लगी और दानव डर कर भागने लगे। वहीं दूसरी ओर जब देवताओं ने छुआ तो उसमें से अमृत की धारा बहने लगी। इस तरह देवताओं के अमृतपान के कारण यह स्थान श्रद्धा का केन्द्र बना।
परली वैजनाथ धाम (महाराष्ट्र) |
हालांकि यहां रोज पूजा अर्चना होती है फिर भी हर वर्ष श्रावण मास एवं कार्तिक पूर्णिमा पर यहां विशेष पूजा आयोजित की जाती है जिसमें देश भर से लाखों श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना एवं दर्शन के लिए एकत्रित होते हैं। महाराष्ट्र में स्थित अन्य ज्योत्रिलिंगो की भांति इस धाम की भी मान्यता है।
परली बैजनाथ का पता और कैसे पहुंचें:
पता – परली, जिला- बीड, महाराष्ट्र – 431112
सड़क मार्ग – दिल्ली से बीड 1484 किमी, बीड से परली बैजनाथ 93 किमी.
नजदीकी रेलवे स्टेशन – परली वैजनाथ रेलवे स्टेशन
नजदीकी एयरपोर्ट – बेलगाम, एयरपोर्ट से 102 किमी, और औरंगाबाद, एयरपोर्ट से 104 किमी.
5- नागेश्वर (Nageshwar)
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जामनगर, गुजरात में स्थित है और द्वारिका के बहुत पास है। पौराणिक कथाओं में इस क्षेत्र का वर्णन दारुका वन के रूप में मिलता है, जहां राक्षसों का विनाश करके भगवान शिव अपने भक्तों की रक्षा के लिए नागेश्वर रुप में रहने लगे। इस प्रकार यह स्थान नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुआ। अन्य ज्योतिर्लिंगों की तरह ही यहां भी शिव भक्त हर साल लाखों की संख्या में आते हैं और नागेश्वर महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
नागेश्वर धाम (गुजरात) |
नागेश्वर का पता और कैसे पहुंचें:
पता – नागेश्वर महादेव, जिला- जामनगर, गुजरात – 361330
सड़क मार्ग – दिल्ली से नागेश्वर 1272 किमी.
नजदीकी रेलवे स्टेशन – द्वारका रेलवे स्टेशन, स्टेशन से 18 किमी.
नजदीकी एयरपोर्ट – पोरबंदर, एयरपोर्ट से 107 किमी, और जामनगर, एयरपोर्ट से 126 किमी.
6- वासुकीनाथ (Vasukinath)
वासुकीनाथ धाम जिला दुमका, झारखंड में स्थित है। इस शिव धाम की महत्ता इतनी अधिक है कि बिना वासुकीनाथ के दर्शन किए वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की यात्रा सफल नहीं मानी जाती है। इसलिए अन्य ज्योतिर्लिंगों की यात्रा के साथ भक्त वासुकीनाथ जी का दर्शन भी अवश्य करते हैं। इस शिव मन्दिर के विषय में अनेक कथाएं प्रचलित हैं जो आस्था एवं श्रद्धा का केन्द्र हैं। एक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के पश्चात देवताओं ने वासुकी नाग को यहां छोड़ा था, क्योंकि नाग शिव को परम प्रिय हैं, इस कारण भगवान शिव नागेश्वर रुप में यहां विराजमान हैं।
कहा जाता है कि वासुकी नाग ने यहां शिव लिंग स्थापित किया और यह स्थान वासुकीनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। एक अन्य कथा के अनुसार वासु नामक एक व्यक्ति अकाल के कारण कंद मूल खोद रहा था, तभी उसकी कुदाल एक लिंग पर जा लगी और उससे रक्त बहने लगा। वह डर गया, तब वह भगवान शिव की आराधना उसे आशीर्वाद प्राप्त हुआ और उस स्थान पर शिव लिंग स्थापित किया। इस प्रकार इस शिव लिंग का नाम वासुकीनाथ पड़ गया। आज लाखों की संख्या में शिव भक्त हर साल यहां पहुंच कर दर्शन का लाभ उठाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।
वासुकीनाथ धाम (झारखंड) |
वासुकीनाथ का पता और कैसे पहुंचें:
पता – वासुकीनाथ, जिला- दुमका, झारखंड – 361330
सड़क मार्ग – दिल्ली से वासुकीनाथ 1342 किमी.
नजदीकी रेलवे स्टेशन – वासुकीनाथ रेलवे स्टेशन, स्टेशन से 3 किमी.
नजदीकी एयरपोर्ट – रांची एयरपोर्ट, एयरपोर्ट से 277 किमी.
7- पशुपतिनाथ (Pashupatinath)
पशुपतिनाथ धाम काठमांडू, नेपाल में स्थित है। शिव का यह मन्दिर नेपाल ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। भगवान शिव का यह मन्दिर प्राकृतिक रूप से बहुत सुन्दर है, चारों ओर हिमालय पर्वत से घिरे होने के कारण इस मन्दिर की छटा अद्वितीय है। यह शिव का इकलौता मन्दिर है जहां अष्ट धातु का पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है। पशुपतिनाथ धाम में भी अन्य ज्योतिर्लिंगौं की तरह ही नित्य प्रति पूजा अर्चना होती है। पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में पशुपतिनाथ का विशेष रूप से वर्णन मिलता है।
पशुपतिनाथ धाम (काठमांडू – नेपाल) |
पौराणिक कथाओं में इस विषय पर बताया गया है कि भगवान शिव और पार्वती जब संसार में भ्रमण कर रहे थे और घूमते घूमते एक दिन यहां पहुंचे। इस स्थान की सुन्दरता देख कर वो मंत्र मुग्ध हो गये। चारों ओर सुन्दर पर्वत श्रृंखला, अति सुन्दर वन, साथ में कल-कल करती बागमती नदी। ऐसी सौन्दर्य पूर्ण जगह देखने के बाद भगवान ने यही रहने का निश्चय किया और हिरन का रुप ले कर आनन्द पूर्वक विचरण करने लगे।
इस बीच भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी, शिव जी से मिलने कैलाश पर्वत पहुंचे किन्तु भगवान शिव को न पाकर इधर उधर ढूंढने लगे। बहुत खोज के बाद वो इस स्थान पर पहुंचे और उन्होंने भोलेनाथ से वापस कैलाश लौटने का आग्रह किया, किन्तु भोलेनाथ ने यहां रह कर इस लोक के कल्याण की इच्छा जताई। इस प्रकार एक पशु के रूप में रहने के कारण भगवान भोलेनाथ का नाम पशुपतिनाथ पड़ा।
आज यहां रोज हजारों लोग दर्शन के लिए आते हैं और पूरे साल लगभग एक करोड़ से अधिक लोग यहां पहुंचते हैं और श्रद्धा से भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। स्थानीय लोग इस शिव धाम की ज्योतिर्लिंगों में गिनती करते हैं।
पशुपतिनाथ का पता और कैसे पहुंचें:
पता – पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांडू, नेपाल
सड़क मार्ग – दिल्ली से काठमांडू 1142 किमी. (आगरा – लखनऊ एक्सप्रेस-वे)
नजदीकी रेलवे स्टेशन – भारत से सीधी रेल सेवा नहीं है किन्तु गोरखपुर (यूपी) नजदीकी रेलवे स्टेशन है, गोरखपुर स्टेशन से 333 किमी.
नजदीकी एयरपोर्ट – त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट काठमांडू
शिव पुराण में कुल 64 शिव लिंगों का उल्लेख मिलता है जो सम्पूर्ण भारत के मन्दिरों में स्थापित हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मन्दिरों का वर्णन यहां किया गया है स्थानीय लोग एवं विद्वान उपरोक्त सभी शिव मन्दिरों को मुख्य ज्योतिर्लिंगों के समान ही मानते हैं।
नोट- मुख्य सड़क मार्ग से दूरी दिल्ली को केंद्र में रखकर लिया गया है।
यह भी पढ़ें – गंगा आरती – त्रिवेणी घाट ऋषिकेश
3 thoughts on “12 ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) के अलावा और कितने मुख्य धाम हैं शिव के? जानिए उनके नाम और स्थान की जानकारी (Apart from the 12 Jyotirlingas, how many other main abodes of Shiva are there?(Apart from the 12 Jyotirlingas, how many other main abodes of Shiva are there?”