भारतीय क्रिकेट में “कर” का चमत्कार (The Miracle of “KAR” in Indian Cricket)

The Miracle of “Kar” in Indian Cricket

भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) में “कर” का चमत्कार एक असाधारण संयोग है। (The Miracle of “Kar” in Indian Cricket). भारत में कई क्रिकेटरों का उपनाम यानि सरनेम “कर” अक्षरों पर समाप्त होता है। इन खिलाड़ियों ने न केवल भारत का गौरव बढ़ाया बल्कि सम्पूर्ण विश्व क्रिकेट को समृद्ध बनाया। वर्तमान भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) को उच्च शिखर तक पहुचाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है।

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आइए, सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर जैसे दिग्गजों सहित “कर” अक्षर के साथ सरनेम वाले भारतीय क्रिकेटरों के उल्लेखनीय योगदान पर नज़र डालें। भारत सहित विश्व क्रिकेट (World Cricket) पर उनके प्रभाव, उनकी कामयाबी, उनके जन्म स्थान और उनके शानदार अंतराष्ट्रीय करियर के बारे में कुछ संक्षिप्त विवरण पर बात करें।

प्रारंभिक युग के योगदानकर्ता (Early Era Contributors)

 

1- दत्ताराम हिंडलेकर – Dattaram Hindlekar (1936-1946)

दत्ताराम जन्म वर्ष 1912 में वडोदरा, गुजरात में हुआ और भारत के लिए 1936 से 1946 तक क्रिकेट खेला।

दत्ताराम हिंडलेकर भारत के पहले विकेट कीपरों में शामिल थे। हिंडलेकर स्टंप के पीछे अपनी फुर्ती और तेज नजर के लिए मशहूर थे। उन्होंने आने वाले भारतीय विकेट कीपरों के लिए रास्ता तैयार किया। उनका अंतरराष्ट्रीय करियर छोटा रहा, फिर भी उन्होंने भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) में एक कुशल विकेट कीपर की अहमियत साबित करने में बड़ा योगदान दिया।

2- खांडू रंगनेकर – Khandu Rangnekar (1947-1948)

रंगनेकर का जन्म 1917 में बॉम्बे (अब मुंबई) महाराष्ट्र में हुआ। इन्होंने भारत के लिए 1947 से 1948 तक क्रिकेट खेला।

खांडू रंगनेकर एक बहुमुखी क्रिकेटर थे। लोग उन्हें उनकी बल्लेबाजी कौशल और सरल ऑफ-स्पिन के लिए जानते थे। वे भारत की आजादी के बाद की क्रिकेट टीम में शामिल थे। उन्होंने अपने खेले कुछ मैचों में अहम भूमिका निभाई। रंगनेकर अलग-अलग भूमिकाओं के अनुसार खुद को ढाल सकते थे। इस गुण ने उन्हें भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) के बदलाव के दौर में एक महत्वपूर्ण जरूरी खिलाड़ी बना दिया था।

3- दत्तू फड़कर – Dattu Phadkar (1947-1959)

दत्तू फड़कर का जन्म 1925 में कोल्हापुर, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने भारत के लिए 1947 से 1959 तक क्रिकेट खेला।

दत्तू फड़कर एक संपूर्ण ऑलराउंडर थे। उनकी पहचान एक विश्वसनीय बल्लेबाज और एक कुशल मध्यम गति के गेंदबाज के रूप में थी। दबाव के समय में अच्छा प्रदर्शन करने की उनकी योग्यता ने उन्हें 1940 और 1950 के दशक के अंत में भारतीय टीम के लिए बहुमूल्य बना दिया। फड़कर का सबसे यादगार खेल 1948-49 में वेस्टइंडीज के विरुद्ध आया था। वेस्टइंडीज में उनके द्वारा खेले गए ऑलराउंड खेल ने सभी को आश्चर्य चकित किया था।

मिड सेंचुरी मास्टर्स  (Mid Century Masters)

 

4- विजय मांजरेकर – Vijay Manjrekar (1952-1965)

विजय का जन्म वर्ष 1931, बॉम्बे (अब मुंबई), महाराष्ट्र में हुआ, इन्होंने भारत के लिए 1952 से 1965 तक क्रिकेट खेला।

विजय मांजरेकर अपनी तकनीकी दक्षता और मजबूत डिफेंस के लिए प्रसिद्ध थे। मध्यक्रम के बल्लेबाज के रूप में, वे भारतीय बल्लेबाजी लाइन की रीढ़ थे। उन्होंने मजबूत विरोधियों के खिलाफ रन बनाए। मांजरेकर तेज गेंदबाजी के खिलाफ खेलने में माहिर थे, विशेष रूप से लंबी पारियां खेलने की उनमें क्षमता थी। उस समय भारत के लिए वो एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे।

5- चंद्रकांत पटनकर – Chandrakant Patankar (1956-1956)

पटनकर का जन्म वर्ष 1930, कोल्हापुर, महाराष्ट्र में हुआ। उनका अंतराष्ट्रीय क्रिकेट जीवन 1956 में काफी छोटा रहा।

1956 में हालाँकि उनका अंतरराष्ट्रीय करियर संक्षिप्त था, किन्तु घरेलू क्रिकेट में विकेट-कीपर के रूप में चंद्रकांत पटनकर का योगदान बहुत महत्वपूर्ण था। उनकी इसी प्रतिभा ने भारतीय क्रिकेटरों की अगली पीढ़ी को मार्गदर्शन देने में मदद मिली। अंतराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में उनके छोटे से करियर में ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीमों के खिलाफ खेलना शामिल था।

6- मनोहर हार्डिकर – Manohar Hardikar (1958-1958)

हार्डिकर का जन्म वर्ष 1936, पुणे, महाराष्ट्र हुआ, इन का भी अंतराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट जीवन केवल एक साल 1958 रहा।

पटनकर की तरह ही डा. मनोहर हार्डिकर का अंतरराष्ट्रीय करियर बहुत छोटा था। वो अपनी अद्भुत स्टाइलिश बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे। भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) में उनका योगदान घरेलू सर्किट में अधिक रहा। हार्डिकर एक कुशल सर्जन भी थे और जिन्होंने अपने मेडिकल करियर को क्रिकेट के साथ बड़ी सफलता से संतुलित किया।

स्वर्णिम पीढ़ी (The Golden Generation)

 

7- अजीत वाडेकर – Ajit Wadekar (1966-1974)

वाडेकर का जन्म वर्ष 1941, बॉम्बे (अब मुंबई), महाराष्ट्र में हुआ, इन का अंतरराष्ट्रीय करियर 1966 से 1974 तक रहा।

अजीत वाडेकर ने 1971 में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में भारत को पहली बार विदेशों में सीरीज जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उनकी कप्तानी और मध्यक्रम की बल्लेबाजी ने भारत को एक जीत के लिए लड़ने वाली क्रिकेट टीम में बदलने में मुख्य भूमिका निभाई। वाडेकर की नेतृत्व शैली शांत, सूजबूझ भरी और दृढ़ थी  जिससे उन्हें टीम के साथियों और विरोधियों से समान रूप से सम्मान मिला।

The Miracle of “Kar” in Indian Cricket

8- एकनाथ सोलकर – Eknath Solkar (1969-1977)

एकनाथ सोलकर का जन्म वर्ष 1948, बॉम्बे (अब मुंबई), महाराष्ट्र में हुआ, उहोंने भारत के लिए अंतराष्ट्रीय क्रिकेट 1969 से 1977 तक खेला।

शॉर्ट लेग पर अपनी असाधारण फील्डिंग के लिए मशहूर एकनाथ सोलकर एक भरोसेमंद ऑलराउंडर भी थे। 1970 के दशक की शुरुआत में बल्ले और गेंद दोनों से मुश्किल परिस्थितियों में उनका योगदान भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। सोलकर की निर्भीक और निडर फील्डिंग, साथ ही तेज रिफ्लेक्स ने कई रन बचाए और भारत के लिए विकेट ले कर महत्वपूर्ण योगदान दिया। एकनाथ और बृजेश पटेल की असाधारण फील्डिंग से प्रभावित होकर वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लाएड ने कहा था “मुझे ये दो खिलाड़ी मिल जाएँ तो मेँ किसी भी टीम को हरा सकता हूँ।“

9- सुनील गावस्कर – Sunil Gavaskar (1971-1987)

सुनील का जन्म वर्ष 1949, बॉम्बे (अब मुंबई), महाराष्ट्र में हुआ, इन का अंतरराष्ट्रीय करियर 1971 से 1987 तक रहा।

विश्व क्रिकेट इतिहास के सबसे महान सलामी बल्लेबाजों में से एक सुनील गावस्कर ने कई रिकॉर्ड बनाए। सर्वाधिक 10,000 टेस्ट रन और संचूरी बनाने वाले वो पहले खिलाड़ी बने। उनकी कुशल एवं मजबूत तकनीक और दृढ़ संकल्प ने उन्हें क्रिकेट की दुनिया में एक महान खिलाड़ी बना दिया। गावस्कर का प्रभाव मैदान से बाहर भी काफी पड़ा क्योंकि वे खिलाड़ियों के अधिकारों और क्रिकेट सुधारों के प्रति मुखर समर्थक बन कर उभरे।

10- रामनाथ पारकर – Ramnath Parkar (1972-1973)

रामनाथ का जन्म वर्ष 1946, बॉम्बे (अब मुंबई), महाराष्ट्र में हुआ, उनका अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जीवन केवल 2 साल 1972 से 1973 तक ही रहा।

रामनाथ पारकर का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बहुत कम समय रहा, फिर भी उन्होंने अपनी आक्रामक बल्लेबाजी शैली से अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनकी बल्लेबाज़ी जो अपने समय में एक अलग ही लेबल की थी। अपने छोटे करियर के बावजूद, पारकर का घरेलू प्रदर्शन, खासकर मुंबई के लिए बहुत प्रभावशाली था।

11- हेमंत कानितकर – Hemant Kanitkar (1974-1974)

हेमंत कानितकर का जन्म वर्ष 1942, अमरावती, महाराष्ट्र में हुआ। हेमंत का अंतराष्ट्रीय करियर केवल एक वर्ष 1974 तक रहा।

हेमंत कानितकर, कुछ ही टेस्ट मैच खेल पाये, किन्तु घरेलू क्रिकेट में अपनी दमदार एवं ठोस बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे। जिससे कारण उनकी टीम को स्थिरता और अनुभव मिलता था। उनका क्रिकेट ज्ञान और मजबूत तकनीक उनके बेटे ऋषिकेश कानितकर को भी मिला जो आगे चल कर भारत के लिए खेले।

12- दिलीप वेंगसरकर – Dilip Vengsarkar (1976-1992)

दिलीप वेंगसरकर का जन्म वर्ष 1956, बॉम्बे (अब मुंबई), महाराष्ट्र में हुआ, उनका अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जीवन काफी अच्छा रहा 1976 से 1992 तक।

दिलीप वेंगसरकर, भारतीय मध्यक्रम के दिग्गज बल्लेबाज़ थे, जिन्हें ‘कर्नल’ के निक नाम से भी जाना जाता है। उनकी शानदार बल्लेबाजी और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में प्रदर्शन करने की क्षमता ने उन्हें भारत के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक बना दिया। वेंगसरकर लॉर्ड्स (इंग्लैंड) में विशेष रूप से सफल रहे। जहाँ उन्होंने शानदार तीन शतक बनाए, जिसकी वजह से उन्हें “लॉर्ड्स के भगवान” का उपनाम मिला।

13- गुलाम पारकर – Ghulam Parkar (1982-1982)

पारकर का जन्म वर्ष 1955, बॉम्बे (अब मुंबई), महाराष्ट्र में हुआ, उनका अंतराष्ट्रीय करियर मात्र एक वर्ष 1982 तक रहा।

गुलाम पारकर का अंतरराष्ट्रीय करियर संक्षिप्त था, फिर भी उनकी आक्रामक बल्लेबाजी शैली ने उस समय अपनी खास छाप छोड़ी। उनके निडर, और निर्भीक होकर खेलने की शैली और गेंदबाजों पर हावी होने की क्षमता ने उन्हें घरेलू क्रिकेट में भी दर्शकों का पसंदीदा खिलाड़ी बना दिया था।

आधुनिक युग के प्रतीक (Modern Day Icons)

 

14- मनोज प्रभाकर – Manoj Prabhakar (1984-1995)

प्रभाकर का जन्म वर्ष 1963, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। उनका अंतराष्ट्रीय क्रिकेट करियर लगभग 10-11 साल 1984 से 1995 तक रहा।

मनोज प्रभाकर उस समय के एक बहुमुखी ऑलराउंडर थे। अपनी प्रभावी स्विंग गेंदबाजी और निचले क्रम की उपयोगी बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे। यहाँ तक कि एक दिवसीय मैचों में वो कभी-कभी ओपेनिंग बल्लेबाज़ी और ओपेनिंग गेंदबाजी भी करते थे। उन्होंने 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में भारत की सफलताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रभाकर की गेंद को दोनों तरफ स्विंग करने की क्षमता ने उन्हें सभी परिस्थितियों में एक शक्तिशाली और खतरनाक गेंदबाज बना दिया था।

The Miracle of “Kar” in Indian Cricket

15- संजय मांजरेकर – Sanjay Manjrekar (1987-1996)

संजय मांजरेकर का जन्म वर्ष 1965, मैंगलोर, कर्नाटक में हुआ। उनका अंतराष्ट्रीय क्रिकेट जीवन काफी अच्छा रहा 1987 से 1996 तक।

संजय अपनी क्लासिकल बैटिंग तकनीक के लिए जाने जाते हैं। उस समय वो भारतीय मध्यक्रम के एक मुख्य खिलाड़ी थे। बल्लेबाजी के प्रति उनके विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण ने उन्हें अपने करियर के दौरान एक विश्वसनीय खिलाड़ी बनाया। रिटायरमेंट के बाद मांजरेकर अब एक सम्मानित क्रिकेट कमेंटेटर बन गए हैं। आज वो अपने सटीक विश्लेषण और कमेंटरी के लिए जाने जाते हैं।

16- सचिन तेंदुलकर – Sachin Tendulkar (1989-2013)

सचिन तेंदुलकर का जन्म वर्ष 1973, बॉम्बे (अब मुंबई), महाराष्ट्र में हुआ। उनका अंतराष्ट्रीय क्रिकेट जीवन सबसे लंबा लगभग 25 वर्षों 1989 से 2013 तक रहा।

“मास्टर ब्लास्टर” के नाम से विख्यात सचिन तेंदुलकर विश्व क्रिकेट के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक हैं। टेस्ट और वनडे क्रिकेट (ODI Cricket) दोनों में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले एक मात्र खिलाड़ी हैं। अपने नाम अनगिनत रिकॉर्ड रखने वाले तेंदुलकर का क्रिकेट में योगदान बेमिसाल और सराहनीय है। वर्तमान भारतीय खिलाड़ियों के लिए वो एक आदर्श हैं। उनकी विलक्षण प्रतिभा से लेकर एक आइकन (icon) बनने तक के उनके सफ़र ने हजारों क्रिकेटरों को प्रेरित किया है जो आज सफल हो कर दुनिया में अपनी प्रतिभा बिखेर रहे हैं।

17- अजीत अगरकर – Ajit Agarkar (1998-2006)

अजीत अगरकर का जन्म वर्ष 1977, बॉम्बे (अब मुंबई), महाराष्ट्र में हुआ, इनका अंतराष्ट्रीय करियर 1998 से 2006 तक रहा।

गेंद को दोनों तरफ़ स्विंग करने की क्षमता रखने वाले अजीत अगरकर एक तेज़ गेंदबाज़ थे। अपने करियर में उस समय वनडे में सबसे तेज़ अर्धशतक बनाने वालों में उनका नाम शामिल है। उनकी निचले क्रम की बल्लेबाज़ी ने उन्हें भारत के लिए एक मूल्यवान ऑलराउंडर खिलाड़ी बना दिया। इनकी बहुमुखी प्रतिभा की झलक टेस्ट और वनडे दोनों में दिखाई देती है। वर्तमान में अगरकर भारत के मुख्य सलैक्टर के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।

18- ऋषिकेश कानितकर – Hrishikesh Kanitkar (1999-2000)

ऋषिकेश का जन्म वर्ष 1974, पुणे, महाराष्ट्र में हुआ, हालांकि उनका अंतराष्ट्रीय करियर काफी छोटा 1999 से 2000 तक ही रहा।

ऋषिकेश कानितकर को पाकिस्तान के खिलाफ ढाका में सिल्वर जुबली इंडिपेंडेंस कप (Silver Jubilee Independence Cup) के फाइनल वनडे में मैच जिताने वाली बाउंड्री के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है। उस मैच में भारत को 2 गेंदों पर 3 रन की जरूरत थी जिसे उहोंने ने चौका लगा कर पूरा किया। कानितकर ने घरेलू क्रिकेट में भी अहम भूमिका निभाई और 8000 से अधिक रन बनाने का रिकार्ड अपने नाम किया।

The Miracle of “Kar” in Indian Cricket

19- रोहन गावस्कर – Rohan Gavaskar (2004-2004)

रोहन गावस्कर का जन्म वर्ष 1976, कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ, रोहन का अंतराष्ट्रीय करियर काफी छोटा 2004 से 2004 तक ही रहा।

रोहन गावस्कर अपने पिता महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर की तरह अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी ख्याति नहीं बना पाये। वह एक बहूउपयोगी बाएं हाथ के बल्लेबाज और ऑफ स्पिन गेंदबाज थे और साथ ही टीम को ऑलराउंडर के तौर पर संतुलन देते थे। अपने घरेलू क्रिकेट करियर में उहोंने बंगाल के लिए अच्छा क्रिकेट खेला।

20- विजय शंकर – Vijay Shankar (2019-2019)

विजय शंकर का जन्म वर्ष 1991, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु में हुआ, हालांकि वह रिटायर नहीं हुये हैं और अभी भी खेल रहे हैं। अंतराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत 2017-2018 में हुयी।

एक कुशल ऑलराउंडर के रूप में बल्ले और गेंद दोनों से योगदान देने की अपनी क्षमता से विजय शंकर ने अपनी पहचान बनाई है। विजय की बहुमुखी प्रतिभा और खेल ने उन्हें आईपीएल टी20 लीग में एक ऑलराउंडर की पहचान दी है।

अन्त में (Conclusion)

भारतीय “कर” क्रिकेटरों ने भारत ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। दत्ताराम हिंडलेकर  और खांडू रंगनेकर जैसे शुरुआती अग्रदूतों से लेकर आधुनिक समय के सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गजों तक, “कर” सरनेम वाले खिलाड़ियों का भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) को समृद्ध बनाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है। उनकी विरासत भारत के क्रिकेटरों की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती है। उनके क्रिकेट के प्रति प्रेम, कला, सम्पूर्ण समर्पण, कौशल और जुनून का प्रभाव आज की नई पीढ़ी में स्पष्ट दिखाई देता है।

भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) में ऐसे “कर” का चमत्कार एक अद्भुत संयोग ही है जो सदियों तक हमें इन “करों” की याद दिलाता रहेगा। यह भी एक संयोग ही है कि इन खिलाड़ियों में अधिकांश “कर” मुंबईकर (मुंबई) रहे हैं, किन्तु अन्य राज्यों के “करों” का योगदान भी कम नहीं आँका जा सकता। भारतीय क्रिकेट इतिहास (Indian Cricket History) में इनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।

Note: शशिकांत खांडेकर – शशिकांत खांडेकर एकमात्र “Kar” हैं जो भारत के लिए कोई मैच नही खेल पाए, पर 1983-84 में एक ODI मैच में वो 12वें खिलाड़ी के रूप में शामिल थे जो West Indies के खिलाफ गोहाटी में खेला गया था।

 

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