डिजिटल एडिक्शन के शिकार तो नहीं हैं आप (Are You a Victim of Digital Addiction)

कितनी बड़ी है डिजिटल एडिक्शन की समस्या?

क्या हम डिजिटल एडिक्शन के शिकार हो रहे हैं ? आधुनिक युग के डिजिटल आविष्कार जो हमारे जीवन को आसान बना रहे हैं  किन्तु उन्हें बहुत अधिक प्रयोग किया जा रहा है। आज हर कोई इन तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करना चाहता है और कर भी रहा है। लोग इन डिजिटल तकनीकों को इतना अधिक प्रयोग कर रहे हैं कि उन्हें इनकी लत लग गई है जिसे डिजिटल नशा या डिजिटल एडिक्शन कहा जा सकता है। यह एक तरह का व्यसन है और हम सब जानते हैं कि कोई भी व्यसन कभी भी अच्छा नहीं हो सकता है।

डिजिटल नशा, व्यस्तता या डिजिटल लत एक आम समस्या है जो आजकल अधिकांश लोगों में देखी जा सकती है। इसका मतलब है कि लोग इंटरनेट, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, गेम और अन्य डिजिटल उपकरणों के उपयोग में इतना अधिक रूचि व समय दे रहे हैं कि उनके जीवन के अन्य क्षेत्रों में उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। डिजिटल उपकरणों का उपयोग करना बुरा नहीं है, लेकिन उनका लगातार एवं अत्यधिक उपयोग करना निश्चित रूप से बुरा है। यही मुख्य समस्या की जड़ है।

आज स्थिति यह हो गई है कि युवा पीढ़ी बाहर खेलने नहीं जाती, केवल मोबाइल गेम खेलती है और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से संपर्क करती है और फिजिकली उनसे कभी मिलते नहीं। यह स्थिति आज पूरे विश्व में है, हमारा देश भी इससे अछूता नहीं है।  विशेष रूप से बच्चे और छात्र इन चीजों में अपना बहुमूल्य समय बर्बाद कर रहे हैं जबकि उन्हें अध्ययन एवं शारीरिक खेलों में समय का सदुपयोग करना चाहिए।

आजकल बच्चों को कम उम्र में ही चश्मे का इस्तेमाल डिजिटल एडिक्शन की वजह से हो रहा है।  ज्यादा देर तक स्क्रीन के सामने रहने की वजह से  सिर दर्द और आंखों में दर्द के साथ ही अन्य बीमारियां भी हो जाती हैं। डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक प्रयोग एक लत है या मात्र निर्भरता या एक ख़तरनाक नशा, यह एक बड़ा प्रश्न है जो आज पूरे विश्व के सामने है। लोग इनके इतने आदी हो चुके हैं कि वो रीयल लाइफ से ज्यादा वर्चुअल दुनिया में जी रहे हैं।

डिजिटल एडिक्शन के शिकार कैसे बनते  हैं लोग?

डिजिटल एडिक्शन में लोग कैसे फंसते हैं? यह एक सामान्य सवाल है। लोग डिजिटल एडिक्शन के शिकार अक्सर अपने स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टैबलेट आदि के माध्यम से होते हैं और इसमें फंसते चले जाते हैं। इस समस्या के कुछ लक्षण हैं, जिनमें अधिक से अधिक समय इंटरनेट पर व्यतीत करना, सोशल मीडिया पर अधिक रुचि रखना, ऑनलाइन गेमिंग आदि शामिल हैं। यह समस्या अधिकतर युवाओं और बच्चों में देखी जाती है।

कोविड और लाकडाउन के बाद यह समस्या अधिक बढ़ी है क्यूंकि आनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चे मोबाइल और कंप्यूटर का अधिक प्रयोग करने लगे हैं। आज स्थिति यह है कि लगभग सभी बच्चों और युवाओं के पास ये उपकरण उपलब्ध हैं और वह उनका उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं। स्थिति यहां तक खराब हो चुकी है कि मां बाप स्वयं छोटे छोटे बच्चों को मोबाइल थमा देते हैं ताकि उन्हें डिस्टर्ब न हो और उन्हें परेशान न करें।

डिजिटल एडिक्शन के शिकार तो नहीं हैं आप (Are You a Victim of Digital Addiction)
डिजिटल एडिक्शन

डिजिटल एडिक्शन कितने तरह का होता है और क्या हैं नुकसान?

यह देखा गया है कि डिजिटल एडिक्शन के तीन मुख्य प्रकार हैं जिनमें इंटरनेट एडिक्शन, फोन एडिक्शन और सोशल मीडिया एडिक्शन शामिल हैं।  इनमें सोशल मीडिया का प्रयोग सबसे उपर है। सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जिसमें लोग अपनी सोच और विचारों को अन्य लोगों के साथ साझा करते हैं। यह लोगों को खुश और संतुष्ट महसूस कराता है लेकिन अधिक उपयोग से यह एक अभिशाप बन जाता है।

यदि आप ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सएप और स्नैपचैट आदि पर बहुत अधिक समय बिताते हैं, और आप अपने जीवन के प्रत्येक पहलू को किसी भी ऐसे प्लेटफॉर्म पर दर्ज करते हैं, तो आप सोशल मीडिया के आदी होते जाते  हैं।

दूसरे नम्बर पर ऑनलाइन गेम हैं जिन्हें ज्यादातर युवा और बच्चे खेलते हैं। यह एक ऐसा माध्यम है जिसमें लोगों को ज्यादा खुशी मिलती हैं लेकिन अधिक उपयोग से यह एक मुसीबत बन जाता है। लोग इसमें इतने व्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें अपने दैनिक कार्यों के लिए समय नहीं मिलता।

तीसरा माध्यम है आनलाइन शापिंग, आजकल ऑनलाइन शॉपिंग करना लोगों के लिए बहुत आसान हो गया है। लोग घर बैठे ही ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं। इसके कारण उन्हें दुकानों में जाने की आवश्यकता नहीं होती है। इससे लोग दूसरों के साथ समय नहीं बिताते हैं और घर से बाहर निकलने के बजाय ऑनलाइन शॉपिंग का उपयोग करते हैं। यह भी एक मुख्य कारण है फिजिकल एक्टिविटी न होने का।

यह थे कुछ मुख्य कारण जिनसे लोग डिजिटल एडिक्शन में फंस जाते हैं। इसी कारण उन्हें अन्य कामों के लिए समय नहीं मिलता है जिससे वे अपने जीवन को बेहतर नहीं बना पाते हैं और इस तरह उनका जीवन नीरस बन जाता है।

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डिजिटल एडिक्शन एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति डिजिटल उपकरणों के अत्यधिक प्रयोग से नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं। डिजिटल उपकरणों की उपयोग की आवश्यकता बढ़ती जा रही है, और साथ ही इससे डिजिटल एडिक्शन का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। यह एक मानसिक समस्या है जो बच्चों के अलावा बढ़ती उम्र के लोगों में भी देखी जा सकती है। यहां तक कि रिटायर्ड लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं।

हमारे जीवन में डिजिटल एडिक्शन के दुष्प्रभाव कई तरह से पढ़ते हैं जिनमें मुख्य हैं ध्यान केंद्रित न कर पाना, थकान, बेचैनी, नींद की कमी, तनाव, दबाव, भ्रम, याददाश्त कमजोर होना, बाहरी प्रभावों से अलग हो जाना, असफलता, खराब स्वास्थ्य, आंखों पर दुष्प्रभाव, गुस्सा, डिप्रेशन आदि शामिल हैं। इसके साथ ही सामाजिक, पारिवारिक एवं व्यक्तिगत रिश्तों पर भी काफी बुरा असर पड़ता है।

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डिजिटल डिटॉक्स की जरूरत

यह समस्या आधुनिक दुनिया में तेजी से बढ़ती जा रही है। इस समस्या से बचने के लिए, लोगों को अपने डिजिटल उपयोग के समय को सीमित करने की आवश्यकता है। वे अपने समय पर नियंत्रण कर सकते हैं और सक्रिय ढंग से अपने दैनिक गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। इसके अलावा, वे अपने डिजिटल उपयोग के लिए निश्चित समय निर्धारित कर सकते हैं और अन्य कामों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। उन्हें अपने समय का अधिकतम उपयोग करना चाहिए ताकि उनका स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य समाजिक और व्यक्तिगत उद्देश्य पूरे हो सकें। स्क्रीन टाइम को आप जितना कम कर सकते हैं वह आपके लिए अच्छा होगा और उस समय का उपयोग आप अन्य उत्पादक कार्यों में लगा सकते हैं।

इस बीमारी यानी डिजिटल एडिक्शन या लत से बचाव के लिए, समाज और सरकार को सहयोग करना चाहिए ताकि लोगों को इस समस्या से निपटने के लिए उपयुक्त संसाधनों और उपायों के बारे में जागरूकता मिल सके। इसके लिए, समाज एवं समुदाय के लोगों और संगठनों को संचार माध्यमों जैसे रेडियो, अखबार आदि के माध्यम से जागरूक करना चाहिए और सरकार को इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए उपयुक्त नीतियां और नियम बनाने की जरूरत है। इसकी गम्भीरता को देखते हुए लोगों को जागरूक और सजग रहना होगा। उनको अपने स्वास्थ्य और संचार के लिए निरंतर ध्यान रखना चाहिए ताकि इससे होने वाली हानियों से बचा जा सके। आज ऐसी अधिकारिक नीतियों और समाज से जुड़े संगठनों की जरूरत है जो लोगों को इस समस्या से निपटने में मदद कर सकें।

इससे पहले कि यह समस्या और बढ़ जाए, हमें समय रहते जागरूक होना चाहिए और स्वयं को इससे बचाना चाहिए। हमें आज डिजिटल डिटॉक्स की आवश्यकता है। इसका यह मतलब नहीं है कि आप डिजिटल टेक्नोलॉजी का बिल्कुल प्रयोग न करें, बल्कि वास्तविक जीवन में लौटें, रियल लाइफ में लौटें। हमें अपने डिजिटल उपयोग को सीमित रखना चाहिए और अपने समय का अधिकतम उपयोग बिना इनके करना चाहिए। इससे हम न केवल खुश और स्वस्थ रहेंगे, बल्कि हम अपने समाज के लिए भी उपयोगी होंगे। यह हमारे समाज और व्यक्तित्व के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और हमें इसे जल्द से जल्द उत्तरदायी ढंग से हल करना चाहिए।

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