भारत में ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) बाज़ार में हाल के वर्षों में अभूतपूर्व ग्रोथ देखी गई है। जिसने लोगों के खरीदारी के तौर तरीकों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है और खुदरा (Retail) क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया है। तेजी से विकसित होती डिजिटल अर्थव्यवस्था को देखते हुए, इस क्षेत्र की जटिलताओं एवं समस्याओं को समझना उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए अत्यंत आवश्यक हो गया है। प्रस्तुत है वर्ष 2028 तक $160 बिलियन से अधिक का आंकड़ा छूने वाले भारत के ऑनलाइन शॉपिंग बाज़ार की अभूतपूर्व ग्रोथ का विश्लेषण का विवरण।
आइए जानते हैं, भारत में ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping ) की वर्तमान स्थिति, बाजार में हिस्सेदारी, ग्राहकों की रुचि, ट्रेंड और भविष्य की संभावनायें कैसी हैं?
भारत में ऑनलाइन शॉपिंग की ग्रोथ और वॉल्यूम (Growth and Volume of Online Shopping in India)
भारत में ऑनलाइन शॉपिंग की ग्रोथ में युवा उपभोक्ताओं और टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका देखी गई है, किन्तु हाल के वर्षों में इस वृद्धि के निम्नलिखित मुख्य कारण रहे हैं:
इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में तेजी से वृद्धि (Rapid Increase in Number of Internet Users)
भारत में ऑनलाइन शॉपिंग के विस्तार की नींव दरअसल देश भर में इंटरनेट यूजर्स की बढ़ती संख्या में छिपी हुई है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में प्रतिदिन लगभग 19 से 20 हज़ार नए इंटरनेट उपभोक्ता जुड़ते हैं। भारत में वर्ष 2023 से 2024 के बीच इंटरनेट उपभोक्ताओं में लगभग 18 मिलियन से ऊपर की वृद्धि देखी गई, जो प्रति दिन लगभग 50 हज़ार के बराबर है।
सस्ते एवं किफायती इंटरनेट डेटा योजनाओं (Internet Data Plans) और इसकी आसान उपलब्धता के चलते, अधिक से अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग करने में सक्षम हो रहे हैं। यह बदलाव एक सशक्त ई-कॉमर्स इकोलाजी (ecology) ढांचे के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।
स्मार्टफोन की पहुंच (Smartphone Access)
दूसरा मुख्य कारण है, लोगों की स्मार्टफोन तक पहुँच। आज छोटे-बड़े शहरों से लेकर ग्रामीण और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में भी इनकी उपलब्धता बढ़ी है। मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से खरीदारी की सरलता ने ई-कॉमर्स के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे उपभोक्ता अब कहीं भी और कभी भी खरीदारी कर सकते हैं। एक अनुमान के अनुसार, भारत में प्रतिदिन लगभग 4 लाख स्मार्टफोन खरीदे जाते हैं, जो ई-कॉमर्स की इस उड़ान को नई ऊंचाइयों की ओर ले जा रहे हैं।
COVID-19 महामारी का प्रभाव (Impact of COVID-19 Pandemic)
भारत में ऑनलाइन शॉपिंग की ग्रोथ में तीसरा बड़ा मुख्य कारण कोविड महामारी रहा। वर्ष 2020-21 में COVID के कारण लोगों में ऑनलाइन शॉपिंग के प्रति रुझान बढ़ा और एक महत्वपूर्ण परिवर्तन यानि ऑनलाइन शॉपिंग का मुख्य स्रोत बना। यह कहना गलत नहीं होगा कि कोविड, ऑनलाइन शॉपिंग को बढ़ाने में एक ट्रिगर पॉइंट साबित हुआ।
लॉकडाउन और सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियमों ने उपभोक्ताओं को डिजिटल एवं ऑनलाइन विकल्पों की ओर प्रेरित किया। हालांकि उस समय लॉकडाउन जैसी मजबूरी थी किन्तु लोगों की खरीदारी करने की आदतों में स्थायी परिवर्तन आ गया।
ऑनलाइन शॉपिंग का मार्केट शेयर (Market Share of Online Shopping)
इंटरनेट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत में ऑनलाइन शॉपिंग का हिस्सा वर्तमान में देश के कुल खुदरा (Retail) बाजार का लगभग 7% है। जिसमें ई-कॉमर्स बाजार का मूल्य (Market Value) लगभग 65 से 70 बिलियन डॉलर है।
भारत के ऑनलाइन शॉपिंग बाजार के बारे में मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं (डेटा सोर्स- इंटरनेट):
- बाजार का आकार (Market Size): लगभग 70 बिलियन डॉलर से अधिक (अनुमानित)
- बाजार हिस्सेदारी (Market Share): कुल खुदरा (Retail) बाजार का लगभग 7% (अनुमानित)
- अग्रणी खिलाड़ी (Leading Players): वर्तमान में अकेले फ्लिपकार्ट (Flipkart) के पास सबसे बड़ा मार्केट शेयर है, दूसरी बड़ी हिस्सेदारी अमेज़न इंडिया (Amazon India) की है जो काफी तेजी से आगे बढ़ रही है। रिलायंस जियोमार्ट (Reliance JioMart) और टाटा नियो (Tata Neo) जैसे बड़े खिलाड़ी भी इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बना रहे हैं।
- उभरते हुए खिलाड़ी (Emerging Players): मार्केट शेयर की दौड़ में मिन्त्रा (Myntra), नायका (Nykaa), बिग वास्केट (BigBasket), पेपरफ्राई (Pepperfry), मीसो (Messo), शोपकुलुज (ShopClues), स्नेप्ड़ील (Snapdeal) और इंडियामार्ट (IndiaMart) आदि जैसे कई अग्रणीय नाम हैं। समय के साथ धीरे-धीरे मार्केट में इनकी पकड़ बढ़ रही है।
हालांकि, वर्तमान में लगभग 65% से 70% मार्केट पर फ्लिप्कार्ट (Flipkart) और अमेज़न (Amazon) का कब्जा है लेकिन तेजी से उभरती हुई कंपनियों ने ऑनलाइन मार्केटिंग के क्षेत्र में काफी हलचल मचा रखी है।
पारंपरिक और ऑनलाइन शॉपिंग (Traditional and Online Shopping)
भारत में पारंपरिक (Traditional) शॉपिंग का चलन काफी अधिक है। अधिकांश लोग वस्तुओं को देख-परख कर, विक्रेताओं के साथ बातचीत करके, सुरक्षित और संतुष्ट रहना चाहते हैं। इसी भावना के कारण पारंपरिक शॉपिंग को अभी भी ऑनलाइन की अपेक्षा अधिक पसंद किया जाता है।
वर्तमान में ऑनलाइन शॉपिंग की लोकप्रियता युवा खरीददारों के बीच काफी तेजी से बढ़ रही है, खासकर उन युवाओं के बीच जो टेक्नॉलॉजी और डिजिटल प्लेटफार्मों के उपयोग में रुचि रखते हैं।
पारंपरिक शॉपिंग और ऑनलाइन शॉपिंग के अंतर को निम्न बिन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
सुविधा (Convenience)
ऑनलाइन शॉपिंग चौबीसों घंटे कभी भी और कहीं से भी कर सकते हैं, मात्र इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। दूसरी ओर पारंपरिक खरीदारी के लिए ग्राहकों को फिजिकल स्टोर तक जाना पड़ेगा। इस प्रकार घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग करना अधिक सुविधाजनक और सरल है।
विविधता एवं चयन (Variety and Selection)
ऑनलाइन बाज़ार में हर प्रकार के उत्पाद और ब्रांड की एक बड़ी रेंज मिलती है, जिससे ग्राहकों को अपनी पसंद की चीजें खरीदने में आसानी होती है। वहीं दूसरी ओर पारंपरिक दुकानों में अक्सर हर तरह का सामान एक ही स्थान पर नहीं मिल पाता है और चयन करने में भी आसानी नहीं होती। जिससे लोगों को खरीदारी करने में असुविधा होती है।
कीमतों की तुलना, छूट और ऑफर (Price Comparison, Discount and Offers)
कीमतों की तुलना व अच्छे ऑफर ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म में अधिक उपलब्ध होते हैं। यहाँ उपभोक्ताओं को आसानी से कीमतों की तुलना करने व ऑफर का फायदा उठाने की सुविधा मिल जाती है। इस तरह की पारदर्शिता पारंपरिक खुदरा दुकानों में बहुत कम देखने को मिलती है। ऑफलाइन ख़रीदारी में ग्राहकों को ऑफर और छूट आदि का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
विश्वास और सुरक्षा (Trust and Security)
भारत के उपभोक्ताओं का अभी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर पूरा भरोसा नहीं है। प्रतिदिन हो रही धोखाधड़ी की खबरों से उनमें अविश्वास और असुरक्षा की भावना बढ़ती हैं। इन चिंताओं के कारण उपभोक्ता ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की तुलना में स्थानीय बाजारों और परिचित दुकानों को प्राथमिकता देते हैं। हालांकि ऑनलाइन शॉपिंग के कई लाभ हैं, फिर भी ग्राहकों को भुगतान की सुरक्षा और उत्पादों की क्वालिटी को लेकर चिंता रहती है।
शारीरिक संपर्क (Physical Interaction)
ऑनलाइन शॉपिंग का सबसे बड़ा नुकसान यही है कि उपभोक्ता उत्पादों को खरीदने से पहले जांच परख नहीं कर सकता और उसकी क्वालिटी को भी महसूस नहीं कर पाता। ऑनलाइन में उपभोक्ता केवल फोटो, वीडियो, विवरण और रेटिंग को देख सकता और पढ़ सकता है।
जबकि दूसरी ओर ट्रेडीशनल खरीदारी में ग्राहक को खरीदने से पहले उत्पादों को छूने, उनकी क्वालिटी चेक करने और ट्रायल लेने का भी मौका मिलता है। हालांकि ट्रायल की सुविधा हर उत्पाद पर नहीं मिलती फिर भी कुछ चीजों में जैसे कपड़े, जूते और कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स आदि पर मिल जाती है।
ऑनलाइन शॉपिंग में ग्राहकों का मूड और ट्रेंड (Customer Mood and Trends in Online Shopping)
कैश ऑन डिलीवरी (Cash on Delivery)
भारतीय उपभोक्ताओं में ऑनलाइन पेमेंट्स के प्रति अक्सर अविश्वास और असुरक्षा की चिंताएँ देखी गई हैं। विशेष रूप से ठगी एवं धोखाधड़ी की स्थिति में इन बातों का असर आम ग्राहकों पर अधिक पढ़ता है। इसीलिए भारत में कैश ऑन डिलीवरी (COD) एक प्रमुख पेमेंट मैथड़ बना हुआ है। हालांकि, COVID के बाद डिजिटल पेमेंट्स की लोकप्रियता बढ़ी है और धीरे-धीरे स्थिति बदल रही है।
डिजिटल भुगतान में वृद्धि (Rise of Digital Payments)
नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन (NPCI) द्वारा विकसित यूपीआई (UPI) ने डिजिटल पेमेंट सिस्टम के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। यूपीआई के कारण रीटेल व ई-कॉमर्स के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत हुई है।
इस सिस्टम ने भुगतान प्रक्रिया को न सिर्फ आसान बनाया बल्कि सुरक्षित, तेज और विश्वसनीय भी बना दिया। आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 80% ऑनलाइन शॉपिंग पेमेंट्स यूपीआई (UPI) के माध्यम से की जा रही हैं। यही कारण है कि अधिक से अधिक उपभोक्ता ऑनलाइन शॉपिंग को अपना रहे हैं।
सोशल मीडिया का प्रभाव (Impact of Social Media)
आज के दौर में ऑनलाइन शॉपिंग को बढ़ावा देने में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है। YouTube, WhatsApp, Facebook और Instagram जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स ने उपभोक्ताओं के रुझानों और मूड को प्रभावित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इन प्लेटफार्मों पर दी गई सूचनायेँ, सिफ़ारिशें और समीक्षायेँ ग्राहकों के मूड और निर्णयों को बहुत प्रभावित करती हैं, जिससे लोगों के शॉपिंग व्यवहार का पेटर्न और प्राथमिकताओं में बदलाव आदि स्पष्ट दिखाई देते हैं।
त्वरित वितरण (Quick Delivery)
ऑनलाइन मार्केट में तुरंत डिलिवरी (Quick Delivery), खरीददारों और बिक्रेताओं दोनों के लिए रीढ़ की हड्डी है। इसके बिना ऑनलाइन शॉपिंग के विकास की कल्पना अधूरी है। तुरंत डिलिवरी ही नहीं बल्कि भरोसेमंद और कॉस्ट इफ़ेक्टिव वितरण भी एक प्रमुख प्राथमिकता है।
वितरण के महत्व को समझते हुए लगभग सभी ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी लॉजिस्टिक्स और इंफ्रास्क्चर में काफी निवेश कर रही हैं, ताकि तुरंत डिलिवरी के तंत्र को मजबूती मिल सके।
भारत में ऑनलाइन शॉपिंग का भविष्य (The Future of Online Shopping in India)
भारत में ऑनलाइन शॉपिंग का भविष्य काफी उज्वल है। मार्केट एक्सपर्ट के अनुसार 2028 तक 18% वार्षिक ग्रोथ के साथ भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट लगभग 160 बिलियन डॉलर से अधिक का हो जाएगा। चूंकि इस सेक्टर का कंज़्यूमर बेस काफी तेजी से बढ़ रहा है इस लिए यह अविश्वसनीय रूप से दिन प्रति दिन नई ऊंचाइयों छू रहा है।
अच्छी तकनीक और सुविधा की उपलब्धता से लोगों के खरीदारी करने के तरीकों में एक नई क्रांति का संचार हुआ है। जैसा कि हमने पहले ही इस विषय पर चर्चा की है कि किस प्रकार से स्मार्टफोन और इंटरनेट की पहुँच के कारण ऑनलाइन शॉपिंग मार्केट में अभूतपूर्व ग्रोथ हो रही है।
उपभोक्ताओं के लिए रोज़-मर्रा की जरूरतों से लेकर छोटे बड़े सभी प्रकार के सामानों की ख़रीदारी तक सभी चीजें अपने स्मार्टफ़ोन, लैपटॉप या टेबलेट आदि से खरीदना काफी आसान हो गया है। इसका श्रेय देश में विकसित हो रहे इंटरनेट और यूपीआई (UPI) जैसे सुरक्षित डिजिटल भुगतान को जाता है।
भारत में आज ऑनलाइन शॉपिंग न केवल एक चलन बन गई है, बल्कि एक नई जीवनशैली के रूप में भी तेजी से उभर रही है। जिस प्रकार ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों तक अपनी पहुँच बना रहे हैं, इससे स्पष्ट है कि भविष्य में इनकी पकड़ और मजबूत बनेगी। इस बढ़ोतरी में कुछ महत्वपूर्ण मुख्य कारण निम्न प्रकार है:
मोबाइल शॉपिंग: वर्तमान ट्रेंड्स को देखते हुए यह स्पष्ट है कि सरल और सुरक्षित मोबाइल ऐप व स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच, दोनों ही अधिकांश ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम बनेंगे। जिसके ऑनलाइन शॉपिंग और अधिक ज़ोर पकड़ेगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रयोग: उपभोक्ताओं के व्यक्तिगत अनुभवों और उनकी परचेजिंग टेंड्स के आधार पर AI एल्गोरिदम उनके डाटा का विश्लेषण करेगा। जिससे ग्राहकों को समय-समय पर नए उत्पादों और उनकी आवश्यकताओं की अग्रिम सूचना दी जा सकेगी और उन्हें लंबे समय तक रीटेन किया जा सकेगा।
सोशल कॉमर्स: सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण इंस्टाग्राम, फेसबुक, एक्स और पिंटरेस्ट जैसे विभिन्न प्लेटफॉर्म के माध्यम से सीधे खरीदारी और अधिक बढ़ेगी।
गहन (इमर्सिव) शॉपिंग: चूंकि, संवर्धित वास्तविकता (Augmented Reality- AR ) और वर्चुअल वास्तविकता (Virtual Reality- VR) जैसी तकनीकें विकसित हो चुकी हैं। जिससे ग्राहक ऑनलाइन खरीदारी करने से पहले वर्चुअली (Virtually) उत्पादों का ट्रायल कर सकते हैं। इससे ऑनलाइन शॉपिंग में काफी बढ़ोतरी हो सकती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार: ई-कॉमर्स कंपनियां अब केवल बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि छोटे-छोटे शहरों व गांवों मेँ भी तेजी से विस्तार कर रही हैं। ऑनलाइन शॉपिंग से वंचित क्षेत्रों मेँ अपनी पहुँच बढ़ाने से कंपनियां अधिक सेल कर पायेंगी।
ऑम्नीचैनल रिटेल: इसका मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को ऑफलाइन और ऑनलाइन शॉपिंग का अनुभव देना है। हालांकि, कुछ हद तक यह सिस्टम पहले से ही चल रहा है लेकिन अब कंपनियाँ इस ओर अधिक ध्यान दे रही हैं। जहां ग्राहक ऑनलाइन ब्राउजिंग करके सामान देख, समझ सकते हैं और दुकान या स्टोर में जाकर सामान ले सकते हैं। ऐसा ही इसके विपरीत भी किया जा सकता है।
इनके अलावा, ग्रीन शॉपिंग, मैम्बरशिप मॉडल, वॉयस कॉमर्स जैसी अनेक संभावनाएं हैं, जिनके माध्यम से ई-कॉमर्स कंपनियाँ ग्राहकों आकर्षित कर रही हैं।
अंत में (Conclusion)
भारत में ऑनलाइन शॉपिंग का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। तकनीकी उन्नति, उपभोक्ताओं के व्यवहार में परिवर्तन, टेलिकॉम और इंटरनेट के विकास में तेजी आदि अनेक कारण है जिनसे ई-कॉमर्स को बढ़ावा मिल रहा है। भारत में ऑनलाइन शॉपिंग का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है, जिसमें इसके विकास और नए इनोवेशन के लिए अभी भी कई अवसर उपलब्ध हैं।
भारत जैसा बड़ा बाज़ार अंतराष्ट्रीय कंपनियों के लिए खुला हुआ है। उम्मीद है कि जैसे-जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का विकास होगा, कंपनियों को लगातार नए उत्पाद और सेवाओं में प्रगति बनाए रखने के लिए तैयार रहना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि ऑनलाइन शॉपिंग की आदतों से भारतीय उपभोक्ताओं की जीवनशैली (Lifestyle) कितनी प्रभावित होती है!
FAQs:
प्रश्न: भारत में ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ने के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर: भारत में ऑनलाइन शॉपिंग में वृद्धि के मुख्य रूप से दो प्रमुख कारण हैं- इंटरनेट की पहुँच में बढ़ोतरी और स्मार्टफ़ोन का व्यापक उपयोग। इसके अलावा अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसी बड़ी कंपनियों का भारतीय ऑनलाइन बाज़ार में प्रभाव।
प्रश्न: ऑनलाइन शॉपिंग और पारंपरिक शॉपिंग में क्या अंतर है?
उत्तर: ऑनलाइन शॉपिंग में ग्राहक को अधिक सुविधा, उत्पादों की विविधता, उपलब्धता और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य उपलब्ध होते हैं। जबकि, पारंपरिक शॉपिंग में विभिन्न दुकानों पर जाकर स्वयं देखना, अनुभव करना और उत्पादों की तुरंत उपलब्धता रहती है।
प्रश्न: भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में प्रमुख खिलाड़ी कौन से हैं?
उत्तर: भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में प्रमुख खिलाड़ियों में अमेज़न इंडिया, फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, नायका, जियोमार्ट, और टाटा नियो शामिल हैं।
Happy Online Shopping!!!
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